अब तुझपे यक़ीं होने लगा,
थम जा कुछ देर मेरे लिये,
अब मैं भी जीने लगा ।
आज़माया तो था ख़ूब तूने मुझे,
पर चित् हो कर भी मैं विजयी हुआ।
हताश हुआ ख़ूब अंधेरी राहों में,
ढूँढ ख़ुद अपना चिराग़ मैं उदय हुआ ।
पीछे ख़ूब धकेला कुछ हाथो ने,
उन हाथो में मैं जकड़ गया ।
पर आज़माया जब ख़ुद के हाथो को मैंने,
तोड़ सारी ज़ंजीरें मैं उड़ गया ।
ऊब गया था तुझसे मैं,
पर अब वो वक़्त भी निकल गया ।
दूर जाना चाहता था तुझसे,
पर अब मैं भी संभल गया ।
ऐ जीवन तू ज़रा धीमें चल,
अब तुझपे यक़ीं हो गया ।
थम जा कुछ देर मेरे लिये,
अब मैं भी जी गया ।
Lovely work Richa.. :-)
ReplyDeleteThanks :)
DeleteAti Sundar
ReplyDeleteThanks :)
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