Sunday, September 29, 2013

मैंने देखा है...



मुझे घनी छाव अदा करने को , खुद कड़ी धूप में चलते उन्हें मैंने देखा है । 
मुझे शीत हवा से बचाने को, ठंड में ठिठुरता उन्हें मैंने देखा है ।

मुझे पढाने को, रातों में जगता उन्हे मैनें देखा है । 
मुझे आईसकृीम खिलाने को, दो रोटी कम खाता उन्हें मैंने देखा है । 

मेरी गलतीयों पर मुझे डांट कर, खुद उदास होता, उन्हें मैंने देखा है । 
मेरी चोट पर दवा लगाते , सिसकता उन्हें मैंने देखा हैं । 

मुझे मेरी कमिया बता कर, दूसरो से मेरी पृशंसा करते उन्हें मैंने देखा हैं। 
खुद की ज़रूरते काट कर, मुझे रईसी कराते, उन्हें मैंने देखा हैं ।

खुद का मन मारकर, मेरी ज़िद पूरी करते उन्हें मैंने देखा हैं । 
मुझे बड़ा करते करते उन्हें बूढ़ा होते, मैंने देखा हैं 

लोग कहते हैं, भगवान केवल मन में दिखते हैं । 
मगर , धरती पर भगवान मैंने देखा हैं । 




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